क्या लिखूं.............
जब भी मैं कुछ लिखने बैठती हूँ, मेरे मन में पहला ख़याल यही आता है कि क्या लिखूं?
मैं हरपल ये सोचती हूँ कि ज़िन्दगी न जाने कितने ही मौके देती है कुछ सीखने के लिए, समझने के लिए, और लिखने के लिए भी.... मैं जब अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त होती हूँ, अपने आस-पास कि चीज़ों को देख रही होती हूँ, कोई परेशानी झेलती हूँ, कुछ अच्छा होता है, या कुछ बुरा होता है............हमेशा हरपल कई विचार मन में आते हैं, जिन्हें मैं लिख देना चाहती हूँ. मैं चाहती हूँ कि ज़िन्दगी से जो मैंने सीखा, जो मैंने समझा, वो मैं और लोगों के साथ भी बाँट सकूं.
मैं सबको ये बता सकूं कि जब मेरी पहली जॉब लगी थी तो मुझे कैसा एहसास हुआ था, मैं ये भी बता देना चाहती हूँ कि जब एक गरीब छोटी सी बच्ची मेरे पास भीख मांगने आई थी..........तो मुझे कितना दर्द हुआ था, मैं बता देना चाहती हूँ कि मुझे नहीं अच्छा लगता जब कोई भी इंसान जानवरों को, पेड़-पौधों को, कीट-पतंगों को परेशान करता है, मैं ये भी बताना चाहती हूँ कि इस दुनिया में कुछ लोग जब दूसरों का मज़ाक उड़ाते हैं, उनकी तकलीफों को न समझते हुए उनपर व्यंग्य करते हैं तो भी मुझे कैसा एहसास होता है...........
पर मैं नहीं कर पाती, क्योंकि जो एहसास उस वक़्त होता है, वो लिखते वक़्त नहीं होता. जो मैं उस समय सोचती हूँ, वोही विचार लिखते वक़्त नहीं आते............... तो आखिर मै क्या लिखूं?
ये ब्लॉग मैंने बनाया है अपने उन्हीं अच्छे-बुरे एहसासों को लिखने के लिए... देखती हूँ कुछ लिख भी पाती हूँ या नहीं. पर हाँ कोशिश ज़रूर करूंगी.............
- अपराजिता
yadi aapka man galat ko galat aur sahi ko sahi bolne ka hoshla rakhta hai to yaha jeevan ko sarthk banata hai ashaa karta hnu aap meri bat ko samgh rahe ho
ReplyDelete